आयकर रिटर्न : IncomeTax Return सामान्य - महत्वपूर्ण जानकारी

 

रिटर्न भरने और टैक्स चुकाने में अंतर है
आयकर रिटर्न भरना और इनकम टैक्स जमा कराने में अंतर है.

चार्टर्ड अकाउंटेंट सूरज गोयल ने कहा, 'कोई व्यक्ति अगर करयोग्य आमदनी के दायरे में नहीं आता, तब भी वह आयकर रिटर्न भर सकता है. नियमित रूप से आयकर रिटर्न भरने से वास्तव में आप अपनी आमदनी का एक दस्तावेजी साक्ष्य जमा कर लेते हैं जो किसी वक्त अपनी आमदनी साबित करने में आपके काम आ सकता है.'

उन्होंने कहा कि लोन लेने या इस तरह की किसी अन्य जरूरत के वक्त आयकर रिटर्न आपकी आमदनी का सबसे भरोसेमंद स्रोत माना जाता है.

अगर आपकी आमदनी टैक्स के दायरे में नहीं आती तो आपके लिए आईटीआर फाइल करना जरूरी नहीं है. अगर आप नियमित रूप से आयकर रिटर्न भरते रहते हैं, तो इससे आपको कई फायदे मिलते हैं.

आयकर विभाग के आंकड़ों के अनुसार निर्धारण वर्ष 2015-16 (वित्त वर्ष 2014-15 की आय पर) में इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या बढ़कर 4.07 करोड़ हो गयी जो इससे पूर्व वर्ष में 3.65 करोड़ थी. लेकिन वास्तव में आयकर का भुगतान केवल 2.06 करोड़ लोगों ने ही किया.

अन्य ने अपनी आय कर निर्धारण सीमा से कम होने का हवाला दिया. इससे पहले निर्धारण वर्ष 2014-15 में 1.91 करोड़ लोगों ने कर का भुगतान किया था जबकि आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या 3.65 करोड़ थी.

क्या है जीरो आईटीआर?
आयकर विभाग के मौजूदा नियमों के हिसाब से अगर आपकी करयोग्य आमदनी सालाना 2.5 लाख रुपये से कम है, तो आपके लिए आईटीआर भरना जरूरी नहीं है. आप ऐसे में भी जीरो आईटीआर भर सकते हैं.

जीरो आईटीआर का मतलब यह है क‍ि आप सरकार को टैक्स तो नहीं चुकाते, लेक‍िन अपनी आमदनी और खर्च की जानकारी देते हैं.

रिटर्न भरने के कई तरीके
आयकर रिटर्न भरने के कई तरीके हैं, जिसमें ई-फाइलिंग से लेकर फिजिकल फॉर्म तक शामिल हैं. आप अपना आयकर रिटर्न खुद भी भर सकते हैं और किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट, टैक्स रिटर्न मददगार या इनकम टैक्स प्रैक्टिशनर की मदद से भर सकते हैं.

केंद्र की मोदी सरकार द्वारा नवंबर 2016 में की गयी नोटबंदी के बाद आयकर रिटर्न फाइल करने वाले लोगों की संख्या में 17% की वृद्धि हुई थी. व्यक्तिगत आय कर रिटर्न फाइल करने वालों की संख्या में भी इस अवधि में 23% की वृद्धि हुई.


आइए जानते हैं आयकर रिटर्न दाखिल करने के पांच फायदों के बारे में:




बैंक से आसानी से लोन :

आईटीआर आपकी आमदनी का सबूत होता है. इसे सभी सरकारी और निजी संस्‍थान आमदनी के भरोसेमंद सबूत के तौर पर स्‍वीकार करते हैं. अगर आप बैंक में लोन के लिए आवदेन करते हैं तो बैंक आपसे आईटीआर मांगते हैं.

अगर आपके पास आईटीआर नहीं है, तब बैंक आपसे आमदनी का कोई अन्य सबूत देने को कहते हैं.

अगर आप नियमित रूप से आईटीआर फाइल करते हैं तो आपको बैंक से आसानी से लोन मिल जाता है. आईटीआर की मदद से आप किसी वित्तीय संस्थान से लोन के अलावा दूसरी सेवाएं भी आसानी से हासिल कर सकते हैं

विदेश जाने के लिए वीजा लेने में मददगार

अगर आप कामकाज/पढ़ाई या बसने के हिसाब से किसी दूसरे देश में जा रहे हैं तो वीजा के लिए आवेदन करते वक्त आपसे इनकम टैक्‍स रिटर्न (आईटीआर ) मांगा जा सकता है.

चार्टर्ड एकाउंटेंट सूरज गोयल ने ईटी से कहा कि कई देशों में वीजा जारी करने के लिए प्रशासनिक अधिकारी आवेदक से 3-5 साल का आईटीआर मांगते हैं.

वास्तव में वे आईटीआर के जरिए चेक करते हैं कि जो व्यक्ति उनके देश में जाना चाहता है कि उसकी वित्तीय स्थिति कैसी है.

कारोबारी मौके दिलाने में मददगार

अगर आप उद्यमी हैं, कोई उत्पाद बनाते हैं या कारोबारी हैं और सरकारी कंपनी को अपना प्रोडक्‍ट बेचना चाहते हैं तो आपके लिए आईटीआर फाइल करना जरूरी है.

आम तौर पर सरकारी विभाग या कंपनियां उन्‍हीं कारोबारियों से उत्पाद लेती हैं जो कम से कम पिछले दो-तीन साल से आईटीआर फाइल कर रहे हों. वास्तव में आईटीआर आपको कारोबारी मौके दिलाने में मददगार साबित हो सकता है.

अधिक टैक्‍स कटने पर रिफंड

सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर सामंत सिक्का ने कहा, 'आईटीआर फाइल करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अगर आपने सरकार को अधिक टैक्‍स चुका दिया है तो आप आईटीआर फाइल कर उसे रिफंड के रूप में वापस ले सकते हैं. यह ध्यान रखें कि रिफंड पाने के लिए आपको आईटीआर फाइल करना जरूरी है.'

अगर आप इनकम टैक्‍स रिटर्न फाइल नहीं करते हैं तो आय कर विभाग आपकी आमदनी के बारे में छानबीन कर सकता है. अगर विभाग यह पाता है कि आपने करयोग्य आमदनी होने के बाद भी रिटर्न फाइल नहीं किया है तो आप पर जुर्माना लगाया जा सकता है.

समय पर रिटर्न फाइल किया तो जुर्माने से बचेंगे

आपको हमेशा इनकम टैक्स रिटर्न तय समय-सीमा के अंदर भरना चाहिए. पिछले वित्त वर्ष का रिटर्न भरने के लिए आखिरी तारीख 31 जुलाई 2018 है. इससे आप रिफंड भी क्‍लेम कर सकेंगे. अगर आप देर से आईटीआर फाइल करते हैं तो आप को रिफंड पर ब्याज नहीं मिल पायेगा.

समय से आईटीआर फाइल करने से आप अपने पैसे का भी बेहतर प्रबंधन कर सकेंगे. आईटीआर फाइल करके आप टैक्‍स देनदारियों से मुक्‍त हो जाते हैं और बाकी बचे पैसे को बेहतर विकल्‍प में लगा सकते हैं.

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